मौत
जिंदगी से मौत जुडी है।बस पांसा
पलटना बाकी।हमसे करोडों वर्ष पहले मनुष्य थे।और आगे भी रहेंगे। मनुष्य के अलावा अन्य हजारों जीव जंतु इस धरती पर है।कुछ रेंगते मरते, कुछ दौडते,कुछ भोंकते ,कुछ कुचलकर मौत तरीके बदलती है।
मनुष्यों में भी मौत तरीके बदलकर आती है।वह अचानक दबोच लेती है।कोई नाचता हुआ मरता है,कोई नचाता हुआ।कोई बहुत जिकर मरता है तो कोई जीने से पहले।जिंदगी के साथ मौत चलती है।उससे भागना मुश्कील।कोई बडे़ अस्पताल में दम तोडता है।कोई सरकारी अस्पताल में।मौत के बाद समता आती है।मौत के खयाल से इन्सान कांपता है।कोई मरना नहीं चाहता क्योंकि जिंदगी में मजा है।मौत से जिंदगी भली।किसी को मौत
खयाल नहीं होता।वह जिता जाता है।मौत से पहले उसके बारे में सोचना मगर डरना नहीं।जिससे छुटकारा नहीं, उससे क्या डरे।दूसरों की अंत्ययात्रा में जाकर ,अपनी अंत्ययात्रा दिखे।दुनिया को जितनेवाले ,मौत को नहीं हरा सके।औरों की जिंदगी छिन सकते हो मगर अपनी मौत रोक नहीं सकते।मौत बहाने बनाकर आती।जहां मारना है,वहां लेकर जाती है।बचानेवाले डाक्टर भी नहीं बचते।
भले लोग किसीको अमर कहें।स्वर्गवासी कहे।मौत के बाद पुतले बनाकर उन्हें पुजती
है।पुजनेवाले मर जाते,पुतले अमर हो जाते हैं।
कोई नाम छोड जाता,कोई दौलत छोड जाता।जहां हम खडे है,वहां भी कितने मुर्दे गडे है हमें पता नहीं।कागज पर सारी दौलत ,कागज जल जाते,स्याही मिट जाती,जब मौत कयामत लाती।जब तक है जान ,जान कीमत नहीं मालूम होती।मेरा मेरा कहते कहते जान सब ले जाती।
जैसे नींद अल्प मौत कहलाती,मौत सदा की नींद कहलाती।किसी मौत पर रोना क्यों, जबकी हम अमर नहीं।जिंदगी से प्यार किया तो मौत से भी करो,डरकर आहें न भरों।
जिंदगी किसीने दी,मौत कोई देगा।जो होना
है वही होगा।
मौत का स्वागत!
ना.रा.खराद
