हर साल 13 मई को विश्व भर में लाखों लोग गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी का जन्मदिन बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाते हैं। यह दिन न केवल उनके जीवन का उत्सव है, बल्कि उनके द्वारा किए गए अनमोल कार्यों और समाज के लिए उनके योगदान को याद करने का अवसर भी है। गुरुदेव एक आध्यात्मिक गुरु, शांति दूत और मानवतावादी नेता हैं, जिन्होंने अपने कार्यों से दुनिया को तनावमुक्त और हिंसामुक्त बनाने का संदेश दिया। आइए, उनके जीवन और कार्यों पर एक नजर डालें।
प्रारंभिक जीवन और आध्यात्मिक शुरुआत
गुरुदेव श्री श्री रविशंकर का जन्म 13 मई, 1956 को तमिलनाडु के पापनाशम में हुआ था। उनके पिता श्री वेंकट रत्नम और माता श्रीमती विशालाक्षी थीं। बचपन से ही रवि शंकर जी में असाधारण प्रतिभा दिखाई देती थी। मात्र चार वर्ष की उम्र में वे भगवद् गीता के श्लोकों का पाठ करने लगे थे और गहरे ध्यान में डूब जाया करते थे। उनके आध्यात्मिक झुकाव को देखते हुए उनके पिता ने उनका नाम आदि शंकराचार्य से प्रेरित होकर "रवि शंकर" रखा।
17 साल की उम्र में उन्होंने वैदिक साहित्य और भौतिकी में स्नातक की डिग्री हासिल की, जो उनकी बौद्धिक और आध्यात्मिक गहराई को दर्शाता है। उनके पहले गुरु सुधाकर चतुर्वेदी, जो महात्मा गांधी के करीबी थे, ने उनकी आध्यात्मिक यात्रा को दिशा दी।
सुदर्शन क्रिया और आर्ट ऑफ लिविंग की स्थापना
1982 में गुरुदेव ने कर्नाटक के शिमोगा में 10 दिनों तक मौन व्रत रखा। इस दौरान उन्हें सुदर्शन क्रिया नामक एक शक्तिशाली श्वास तकनीक की प्रेरणा मिली। यह तकनीक शरीर, मन और आत्मा को संतुलित करने का एक प्रभावी साधन बनी। सुदर्शन क्रिया आज दुनिया भर में लाखों लोगों के लिए तनावमुक्त जीवन का आधार है।
इसी प्रेरणा के साथ गुरुदेव ने 1981 में आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन की स्थापना की। यह एक गैर-लाभकारी संगठन है, जो योग, ध्यान और श्वास तकनीकों के माध्यम से लोगों को मानसिक शांति और आत्म-विकास का मार्ग दिखाता है। आज आर्ट ऑफ लिविंग 180 से अधिक देशों में सक्रिय है और इसके लाखों स्वयंसेवक सामाजिक कल्याण के लिए काम कर रहे हैं।
मानवता के लिए योगदान
गुरुदेव का सपना है एक ऐसी दुनिया, जहां हर व्यक्ति तनाव और हिंसा से मुक्त हो। इसके लिए उन्होंने कई महत्वपूर्ण कार्य किए:
1. शांति वार्ताएं और संघर्ष समाधान:
गुरुदेव ने कोलंबिया, इराक, सीरिया, और भारत के कई हिस्सों में शांति वार्ताओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने सशस्त्र समूਹों को हिंसा छोड़कर शांति के रास्ते पर लाने का प्रयास किया। उदाहरण के लिए, इराक में उनके आघात राहत कार्यक्रमों ने हजारों लोगों को मानसिक शांति दी।
2. ग्रामीण विकास:
आर्ट ऑफ लिविंग और इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर ह्यूमन वैल्यूज (IAHV) के माध्यम से गुरुदेव ने भारत, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के 40,000 से अधिक गांवों में सतत विकास परियोजनाएं चलाईं। इनमें शिक्षा, स्वच्छता, और आजीविका के अवसर शामिल हैं।
3. युवा और महिला सशक्तिकरण:
गुरुदेव के कार्यक्रमों ने युवाओं और महिलाओं को आत्मविश्वास और नेतृत्व कौशल प्रदान किया। उनके स्कूल कार्यक्रम बच्चों को नैतिक मूल्यों और तनाव प्रबंधन सिखाते हैं।
4. आपदा राहत:
सुनामी, भूकंप, और आतंकवादी हमलों जैसी आपदाओं के दौरान आर्ट ऑफ लिविंग ने प्रभावित लोगों को तनावमुक्त करने और पुनर्वास के लिए काम किया।
विश्व संस्कृति महोत्सव और पुरस्कार
2016 में गुरुदेव ने दिल्ली में **विश्व संस्कृति महोत्सव** का आयोजन किया, जिसमें 150 से अधिक देशों के 3.5 मिलियन लोग शामिल हुए। यह आयोजन विश्व शांति और एकता का प्रतीक बना। उनके योगदान के लिए उन्हें **पद्म विभूषण** सहित कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले। अमेरिका और कनाडा के 20 से अधिक शहरों में 7 जुलाई को "श्री श्री रविशंकर दिवस" मनाया जाता है।
गुरुदेव का दर्शन
गुरुदेव का मानना है कि शांति पहले व्यक्ति के भीतर शुरू होती है। उनका कहना है, "जब तक हमारा मन तनावमुक्त नहीं होगा, तब तक समाज हिंसामुक्त नहीं हो सकता।" वे सात भाषाएं जानते हैं और शास्त्रीय संगीत में भी निपुण हैं। वे वीणा बजाने में माहिर हैं और उनकी रचनाएं लोगों को प्रेरित करती हैं।
निजी जीवन और प्रेरणा
गुरुदेव को उनके अनुयायी प्यार से "श्री श्री", "गुरुजी" या "गुरुदेव" कहते हैं। उनका जीवन सादगी और समर्पण का प्रतीक है। वे हर साल 180 दिन यात्रा करते हैं और 40 से अधिक देशों में लोगों से मिलते हैं। उनकी मुस्कान और सरल शब्दों में दी गई शिक्षाएं लोगों को गहराई से छूती हैं।
जन्मदिन का संदेश
गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी का जन्मदिन हमें उनके दर्शन को अपनाने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की प्रेरणा देता है। उनकी शिक्षाएं हमें सिखाती हैं कि ध्यान, सेवा, और प्रेम के माध्यम से हम अपने जीवन को और दूसरों के जीवन को बेहतर बना सकते हैं।
आइए, इस जन्मदिन पर हम संकल्प लें कि हम अपने जीवन में तनाव को कम करेंगे, दूसरों की मदद करेंगे, और गुरुदेव के सपने—एक तनावमुक्त, हिंसामुक्त विश्व—को साकार करने में योगदान देंगे।
संघछत्वम !
