यदि मैं भीतर से पीड़ित हूँ, तब भी क्या मैं प्रसन्न रह सकता हूँ और अपने चेहरे पर मुस्कान रख सकता हूँ?
श्री श्री: तुम्हें मालूम है कि जीवन एक थाली है जिसमें कुछ मीठा है, कुछ नमकीन, कुछ तीखा सारे अलग-अलग स्वाद मौजूद है।उसी प्रकार तुम्हारे जीवन में थोड़ी निराशा(शायद तुमने कुछ खो दिया है, या पैसे खो गए) हो सकती है, हाँ यह दुख देता है, परन्तु यदि उस दुख को पकड़ कर बैठ जाते हो तो जीवन आगे नहीं बढ पाता।जब तक तुम ज्ञान में पूरी तरह भीग नहीं जाते।आध्यात्मिकता में पूरी तरह रम नहीं जाते।तब तक तुम्हें यहाँ वहाँ छोटी बड़ी शिकायतें नजर आती ही रहेंगी।यदि तुमने उन कठिनाइयों की वजह से मुस्कुराना छोड़ दिया तो ये दुनिया बेहद निराशाजनक लगेगी। तुम्हें हमेशा मुस्कुराना होगा, और यह गहन विश्वास हमेशा रखना होगा कि सारे दर्द व तकलीफें एक दिन समाप्त हो जाएंगी।वैसे भी इन सब से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।आपके अन्दर यह ज्ञान जरूर होना चाहिए कि असुविधा सहन करते समय भी मुस्कान के साथ आगे बढना जरूरी है।
