लोग कहते हैं.....
हर किसी के बारे में लोग कुछ कहते रहते हैं। लोगों के कहने पर कोई लगाम नहीं होता।जब सामने कहने की जुर्रत नहीं होती तो पीठ पीछे भड़ास निकाली जाती है।लोग हर किसी में खामियां ढूंढते फिरते हैं,यदि कोई खामि
नज़र न आएं तो , खासियतों को खामियां जताना शुरू कर देते हैं। उन्हें बस कुछ चाहिए किसी को बदनाम के लिए।
आप में भले सैकड़ों गुण हो ,मगर एक ऐब की तलाश में
रहते हैं लोग।लोग भले किसी का भला न करते हों,न किसी का भला चाहते हो ,मगर किसी की भलाई के नाम पर उसके ऐब को सार्वजनिक करने में चूकते नहीं।लोग कहते हैं," सबकुछ ठीक है,मगर...! " इस मगर का राज
फिर बताना शुरू कर देते हैं।जो सबकुछ ठीक है,उसकी कोई एहमियत नहीं,मगरवाली बात को इतना उछाल देते हैं, इतनी धूल उड़ाते हैं कि कोई करीब जा नहीं पाता।
हर किसी की कामयाबी उन्हें एक ढकोसला लगता हैं। सफलता के पीछे कोई षड्यंत्र लगता हैं,किसी का हाथ लगता है।वे फौरन उसकी तह में जाते हैं और कुछ हाथ लगे न लगे ऐसी-ऐसी अफवाहें फैला देते हैं कि नाक में दम कर देते हैं।
लोगों की प्रतिक्रियाओं से कोई बच नहीं सकता। लोग उन
बातों का पता अवश्य लगाते हैं,जो उनसे छिपाई गई है। आखिर लोग करें भी तो क्या? मुफ्त में किसी की बदनामी करते फिरो तो दिन कट जाते हैं। लोगों की नजरें
लोगों पर है, उन्हें खुद के बारे में पता नहीं , परंतु लोगों
बारे में वे सबकुछ जानते हैं और वैसा दावा भी करते हैं।
अब मुझे देखो, मैं भी लोगों के बारे में लिख रहा हूं।
- ना.रा.खराद
