*सत्व वृध्दि में हैं सभी कार्यो की सिद्धि*
जब भी कोई व्यक्ति भौतिक प्रगति करता है और उसके साथ आध्यात्म नहीं जुड़ा होता है तो धीरे-धीरे वह वैभव और विलास में चला जाता है और खत्म हो जाता है । जैसे भागवत गीता में कहा है कि 3 गुण है- रजोगुण, तमोगुण और सत्वगुण । हर व्यक्ति सतोगुण में प्रगति करता है, रजोगुण में वह वैभव यानी इंद्रियों के सुख में चला जाता है और तमोगुण में आलस और प्रमाद में बिल्कुल वापस खत्म हो जाता है ।
भागवत गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है-
_"आहार शुद्धि और सत्व वृद्धि में है सभी कार्यों की सिद्धि"।_
तो कोई व्यक्ति अगर प्रगति के साथ अपना सत्व बढ़ाता रहे अध्यात्म के द्वारा तो वह हमेशा के लिए भी यह प्रगति बनाए रख सकता है । हम यह भूल गए कि सतोगुण में ही सब कुछ होता है । तो जीवन में सतोगुण बढ़ाने के लिए अपनी भारतीय संस्कृति में इतने सारे उपाय हैं । जितने वेद हैं, हर एक वेद एक उपाय है । जैसे चार वेद और 12 उपवेद हैं, यह सब एक उपाय है सतोगुण बढ़ाने के लिये । सत्वगुण बढ़ने से व्यक्ति खुशी-खुशी जीवन निर्वाह करता है और यही खुशी अपने वंशजों को भी देता है । ऐसे पूरी परंपरा चलती है
