यहां हर कोई दूसरे को अपना समझता है,ना साथ जन्मा ना साथ मरेगा फिर भी हमसफर
कहता है।जिसका खुद पर नहीं कोई हक वह औरों को गुलाम या नौकर कहता है।जब राजा थे ,तो तलवार की ताकत थी।स्वार्थी या मजबूर लोगों की.भीड थी।राजा के कहने पर लडती सेना,मर जाती थी।लडे तो.मरते न लडते तो मारे जाते।
लोकतंत्र में नेता मतदाता को अपना समझते है।दुकानदार ग्राहक को.शिक्षक छात्रों को.गुरू शिष्यों को,पति पत्नी एक दूसरे को अपना समझते है।
मालिक नौकरों को,बच्चे मां को अपना समझते है।सच यह है यहां हर कोई अकेला है,अकेला जाएगा।बस हम भ्रम में हैं।
