संसार का स्वभाव है संघर्ष और मनुष्य का स्वभाव है शांती । संघर्ष के बीच शांती खोजें। जो लोग शांती पसंद करते हैं वे लड़ना नहीं चाहते और जो लोग लड़ते हैं उनमे शांती नहीं होती।
आवश्यकता है भीतर से शांतिपूर्ण रहने की और फिर संघर्ष करने की । किसी विवाद को ख़त्म करने की कोशिश ही उसे लम्बा खींचती है। इसके बजाय, स्वयं शांती, प्रेम, आनंद की तलाश करते हुए संघर्ष का सामना करें।
यही भगवत गीता का संपूर्ण संदेश है - भगवान कृष्ण अर्जुन को शांति पर ध्यान केंद्रित करने और उसी समय लड़ने के लिए भी कहते हैं।
संसार का सत्य यही है की युगों-युगों से संसार में संघर्ष चलता आया है। वर्तमान मे हमे शांतीपूर्ण संघर्ष के साथ रहने के लिए सहमत होंना होगा। इस दुनिया की प्रकृति यह है कि एक बार जब आप एक संघर्ष को सुलझा लेते हैं, दूसरा उठता है. उदाहरण के लिए, रूस और युक्रेन में समस्या हल होती लग रही थी , की अचानक फिलिस्तींन और इजराईल का संघर्ष शुरू हो गया।
खुद को ही देखलो एक बिमारी से ठीक होते ही फिर दुसरी अपना सर उठाती है ।
जब हमारा शरीर ठीक होता है, तो मन गडबड हो जाता है.
इस दुनिया में चीज़ें इसी तरह चलती हैं। ग़लतफ़हमियाँ बिना किसी इरादे के होती हैं, और झगड़े पैदा होते हैं. उन्हें हल करना हमारे ऊपर नहीं है. बस उनके साथ रहो और शांतीपूर्ण संघर्ष करते रहो!
खुद को जानो सेवा करो।
यही भगवत गीता का संपूर्ण संदेश है - भगवान कृष्ण अर्जुन को शांति पर ध्यान केंद्रित करने और उसी समय लड़ने के लिए भी कहते हैं।
संसार का सत्य यही है की युगों-युगों से संसार में संघर्ष चलता आया है। वर्तमान मे हमे शांतीपूर्ण संघर्ष के साथ रहने के लिए सहमत होंना होगा। इस दुनिया की प्रकृति यह है कि एक बार जब आप एक संघर्ष को सुलझा लेते हैं, दूसरा उठता है. उदाहरण के लिए, रूस और युक्रेन में समस्या हल होती लग रही थी , की अचानक फिलिस्तींन और इजराईल का संघर्ष शुरू हो गया।
खुद को ही देखलो एक बिमारी से ठीक होते ही फिर दुसरी अपना सर उठाती है ।
जब हमारा शरीर ठीक होता है, तो मन गडबड हो जाता है.
इस दुनिया में चीज़ें इसी तरह चलती हैं। ग़लतफ़हमियाँ बिना किसी इरादे के होती हैं, और झगड़े पैदा होते हैं. उन्हें हल करना हमारे ऊपर नहीं है. बस उनके साथ रहो और शांतीपूर्ण संघर्ष करते रहो!
खुद को जानो सेवा करो।

