शब्दों का उद्देश्य मौन पैदा करना है।
ज्ञान का उद्देश्य आपको यह महसूस
कराना है कि आप नहीं जानते!
रहस्य समझने के लिए नहीं, बल्कि प्रेम करने के लिए होते हैं। प्रेम एक रहस्य है, नींद एक रहस्य है, हमारा मन एक रहस्य है।जो कुछ भी हम अपने चारों ओर देखते हैं वह एक रहस्य है, हमारा जीवन एक रहस्य है। रहस्य को समझने की कोशिश एक भ्रम है, लेकिन इसे आनंद के साथ जीया जा सकता है।
महान अध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकरजी कहते है, एक "मैं नहीं जानता'' है जो अज्ञानता से उत्पन्न होता है, यह दुखदायी होता है। फिर यह ज्ञान से होकर गुजरता है और रूपांतरित हो जाता है "मुझे नहीं पता ! यह एक खूबसूरत स्थिती है जिसे मैं नहीं जानता!", जो एक आश्चर्य है।
इस तरह हर प्रश्न एक आश्चर्य में बदल जाता है।
हमारा जीवन क्या है? आख़िरकार, हम इस ग्रह पर कितने वर्षों तक रहने की योजना बना रहे हैं? समय के पैमाने में, लाखों वर्ष बीत चुके हैं और लाखों वर्ष भविष्य में आएंगे। हमारा जीवन क्या है? 60 वर्ष या 70 वर्ष या 100 साल। जीवन की अवधि नगण्य है। यह सागर में एक बूँद भी नहीं है। स्थान के संदर्भ मे हमारा कोई अस्तित्व ही नहीं है।
यह समझ अहंकार को विघटित कर देती है। अहंकार केवल वास्तविकता की अज्ञानता है, खुद के अस्तित्व की अज्ञानता है।
इसे गहराई से जानने के लिए हमें कुछ करना होगा , अपनी आंखें खोलें और देखें, संसार कितनी गति से बदल रहा है, देखते ही देखते आंखों के सामने सब नष्ट हो जाता है। जिसको जितना पकड़ने की कोशिश करते है वह उतना ही दूर भागता दिखाई देता है। जीवन की गति को हम रोक नही सकते।
मन में यह जागरूकता आती है तो, यह छोटी-छोटी बातों की चिंता छूट जाती है. जैसे, "इस व्यक्ति ने मुझसे यह बात कही मेरा अपमान किया और वह व्यक्ति मुझसे अलग हो गया और मैं ऐसा हु और वह वैसा है।'' यह सारा छोटापन जीवन के प्रति जागरूक होने से दूर हो जाता है।
प्रकृति बहुत दयालु और प्रेममय है यह हमको हमारे भविष्य के बारे में नहीं बताती और हमे हमारे बहुत पुराने अतीत की भी याद नहीं दिलाती। फिर भी हम कुछ बातों को छोड़ना ही नही चाहते जीवन भर उन्ही बातो को लेकर रोते रहते है। हम अपने आप को दुखी करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं , कोई यदि उससे बाहर आने का रास्ता बताए तो वह भी हमे मंजूर नही।
आँखे खोलो और देखो यह जीवन एक रहस्य है। यह खूबसूरत है। इसे जियो। जीवन के रहस्य को समग्रता से जीना आनंद है।

