खुद को पहचानो
हमारे जीवन का सबसे बड़ा तणाव यही है कि, दूसरे हमें हम जो नही है वह समझे।दुसरो की नजरे हमे मुखौटा ओढणे के लिये मजबूर कर देती है। तो जो हम नही है वह दिखलाना पडता है, जैसे हम नही है वैसा बतलाना पडता है। मुस्कुराहट नही आ रही है फिर भी झूठी मुस्कान लानी पडती है। जो नही कहना है कहना पडता है। जो भीतर की सरलता और सहजता है उसे रोकना पडता है। हम चौबीसों घण्टे भीड मे ही जीते है, तो धीरे धीरे हम अपना वास्तविक चेहरा ही भूल जाते है। मुखौटो की दुनिया मे घिर जाते है , बाहर जाते है तो लोगो के सामने एक मुखौटा लेकर रहते है। घर पर होते है तो एक अलग मुखौटा लेकर जीते है।
भारत मे तो शादी - ब्याह में लोग इतना प्रदर्शन करते है, की जो नही है वह दिखाना चाहते है और आए हुए लोग भी तरह - तरह के नकाब ओढ़ कर आते है।कभी अपने आप को देखना जो पद में, प्रतिष्ठा में, सामाजिक स्तिथि में हमे लगता है हमसे कम है उनके सामने हम एक अलग मुखौटा लेकर रहते है। जब हमे लगता है कुछ लोग जो हमसे ऊंचे स्तर पर है तब उनके सामने एक अलग मुखौटा लेकर पेश आएगे, तुरंत ही मुखौटा बदल देते है।
यह प्रक्रिया आज - कल इतनी यंत्रवत हो गई है की खुद को पता भी नही चलता। जैसे कोई ड्रायव्हर गेअर बदलता है कुछ पता नही चलता कब गेअर बदला, बैठने वाले यात्री को भी पता नही चलता की गाड़ी के गेअर बदले जा रहे है। लोग ऐसे चेहरा बदल देते है। कई बार हम चेहरे बदलते है, ऑफिस में एक चेहरा, घर आये तो पत्नी को देखकर एक चेहरा, बेटे को देखकर एक चेहरा, दोस्तो को देखकर एक चेहरा, इन सब चेहरे की भीड मे हम भूल ही जाते है की असली चेहरा क्या है।
फिर एक दिन यह नाटक हमे थका देता है और हम सबको दोष देना शुरू कर देते है।
सच पूछो तो यह सब से बड़ा बोझ है कि हमे अपना असली चेहरा छुपाना पड़ता है। यदि जीवन मे सहजता और सरलता न हो तो हम असली स्वतंत्रता का अनुभव नही कर सकते।
आध्यात्मिक पथ पर चलते हुए हम इस स्वतंत्रता को अनुभव कर सकते है। बस एक एक चेहरे का हमे सामना करना होगा और अपने सच्चे स्वरूप को पहचानना होगा। अपना सच्चा स्वरूप एकांत में ही पता चलता है।अपने आप के साथ रहकर हम खुद को जान सकते है। इसलिए कभी कभी मौन रहो , ध्यान करो, ज्ञान को जिओगे तो एक एक मुखौटा खुलता जाएगा। सच्ची स्वतंत्रता अनुभव कर पाएंगे।
सच पूछो तो यह सब से बड़ा बोझ है कि हमे अपना असली चेहरा छुपाना पड़ता है। यदि जीवन मे सहजता और सरलता न हो तो हम असली स्वतंत्रता का अनुभव नही कर सकते।
आध्यात्मिक पथ पर चलते हुए हम इस स्वतंत्रता को अनुभव कर सकते है। बस एक एक चेहरे का हमे सामना करना होगा और अपने सच्चे स्वरूप को पहचानना होगा। अपना सच्चा स्वरूप एकांत में ही पता चलता है।अपने आप के साथ रहकर हम खुद को जान सकते है। इसलिए कभी कभी मौन रहो , ध्यान करो, ज्ञान को जिओगे तो एक एक मुखौटा खुलता जाएगा। सच्ची स्वतंत्रता अनुभव कर पाएंगे।

