श्रद्धा और विश्वास हट गया तो सारा सौंदर्य हट जाएगा, सारा प्रेम मीट जाएगा, सारा संगीत रुक जाएगा।
श्रद्धा मनुष्य के जीवन की सर्वाधिक मूल्यवान संपत्ति है। जिसके जीवन में श्रद्धा हो उसके जीवन में सब कुछ है। क्योंकि उसके जीवन में उसे सबकुछ सचेत दिखेंगा, उसे अनंत आंदोलित करेगा उसके हृदय मे काव्य उठेगा, उसके प्राणो मे बासुरी बजेगी, उसे ध्यान में, साधना में , सेवा में, जीवन के हर कर्म में रस मिलेगा।
श्रद्धा और विश्वास हो तो जीवन सार्थक लगेगा। घने जंगल, ऊंचे पर्वत , बलखाती नदिया , ऊंची उठती समंदर की लहरें, पंछियों की कलरव, झरनो की कलकलाहट उसे खुशी और आनंद से भर देंगी।
यदि जीवन में श्रद्धा और विश्वास न हो तो जीवन व्यर्थ लगेगा। हर बात को यदि तर्क की कसौटी पर तौलते रहे तो जीवन बोझ लगेगा। केवल तर्क के सहारे ही चलते रहे तो एक न एक दिन निराशा आ जाती है। 'अज्ञात' जैसा जानने के लिए कुछ बचता नही है तो लोग डिप्रेशन और निराशा के शिकार हो जाते है।
अस्तित्व के होने का सार क्या है, रोज उठो, नाश्ता करो, काम पर जाओ, और एक संसार की पागल दौड मे शामिल होकर थके हारे घर आओ फिर वही रोज - रोज। क्या यही जीवन का सार है। और तर्क कहता है की बस यही सार है। तर्क की अंतिम निष्पत्ति निराशा और अवसाद है। श्रद्धा और विश्वास की अंतिम निष्पत्ति अनंत जीवन है। जब हम श्रद्धा और विश्वास को छोड़कर तर्क को चुनते है तब हम अपना ही आत्मघात करते है। जरा सोचो श्रद्धा और विश्वास न रहा तो जीवन में अर्थ क्या रह जाएगा ?
श्रद्धा और विश्वास हट गया तो सारा सौंदर्य हट जाएगा, सारा प्रेम मीट जाएगा, सारा संगीत रुक जाएगा।
फिर बचता क्या है? कूड़ा - करकट, रद्दी का ढेर, सार कहा है? जीवन केवल यांत्रिक बनकर रह जाता है और लोग ऐसे ही यंत्रवत जीते रहते है।
आँख में जरा सा तिनका पड़ गया तो उसके कारण कुछ दिखाई नही पड़ता। हिमालय जैसा बड़ा पर्वत भी आँख में रेत का कण पड़ जाए तो छिप जाता है। रेत का कण हिमालय को छिपा लेता है, दृष्टि साफ होते ही सब दिखाई देता हिमालय भी साफ - साफ नजर आता है बस अपनी दृष्टि को सही करने की जरूरत है।
कभी - कभी यही श्रद्धा जब अंधश्रद्धा में बदल जाती है, तो पैरो की बेड़ी बन जाती है। और जीवन भर लोग उसी में उलझकर रह जाते है।
आज लोग श्रद्धा, विश्वास, प्रेम के अर्थ पूछते है, कभी अनुभव नही किया तो क्या करे। जीवन मे श्रद्धा, विश्वास, प्रेम खो गया तो मानो आँखे खो गई। और जो खो गया वह अब भी मौजूद है। उसे खोजा जा सकता है। जो बंद पड़ा है उसे खोला जा सकता है। बस एक कदम सहजता से अपनी ओर बढ़ाकर देखो.......

