रोजाना खाएं केवल 3 खजूर, होगा 7 बड़ी बीमारियों का खात्मा
खजूर खाने के फायदे
खजूर सभी को पसंद नहीं होते, ये स्वाद में मीठे तो होते हैं लेकिन खाते समय कुछ देर बाद फीका स्वाद देने लगते हैं। इसकी वजह है इसके अंदर का भाग, जो कि अधिक मीठा नहीं होता।
खजूर खाने के फायदे
कुछ लोग खजूर देखकर ही इसे खाने से मना कर देते हैं, जिसका कारण है इसका पक्का रंग। लेकिन आज इस आर्टिकल के जरिए जब आप खजूर से मिलने वाले फायदे जान लेंगे, तो इसे खाने से खुद को रोक नहीं पाएंगे।
खजूर खाने के फायदे
खाने-पीने की हर सामग्री में कुछ ना कुछ पौष्टिक गुण होते ही हैं। फिर वे फल-सब्जियां हों या मसाले, सभी अपने गुणों से हमें लाभ प्रदान करते हैं। लेकिन खजूर के कुछ गुण ऐसे हैं जिनसे मिलने वाले फायदों को जानने के बाद आप वाकई चकित होने वाले हैं।
खजूर खाने के फायदे
सीधा इनके गुणों की चर्चा करने से पहले हम आपको खजूर के संदर्भ में एक सलाह देना चाहेंगे। यदि आप खजूर बेहद पसंद करते हैं तो रोजाना कम से कम 3 या 4 खजूर सुबह-सुबह खाएं। यदि पसंद नहीं है, तब भी 2 खजूर अवश्य खाएं।
खजूर खाने के फायदे
ऐसा क्यों, इसका जवाब आपको खजूर के गुणों को जानने के बाद पता चल जाएगा। आगे की स्लाइड्स में एक-एक करके जानिए खजूर के गुणों के बारे में।
खजूर खाने के फायदे
खजूर में भारी मात्रा में विटामिन और मिनरल यानि खनिज पदार्थ पाए जाते हैं। एक छोटे-से दिखने वाले खजूर में भरपूर मात्रा में प्रोटीन होता है। इसके अलावा फायबर के गुणों से भी युक्त है खजूर।
खजूर खाने के फायदे
खजूर में विटामिन बी1, बी2, बी3, बी5, ए1 और विटामिन सी भी पाया जाता है। इसके साथ ही पोटैशियम से लैस लेकिन सोडियम से मुक्त होता है खजूर।
खजूर खाने के फायदे
इतने सारे गुण जानने के बाद अब जानिए कि खजूर खाने से हमें क्या-क्या फायदे मिलते हैं। खजूर को सर्दियों का फल कहकर पुकारा जाता है, तो क्या इसे सर्दियों के मौसम में ही खाना सही रहता है?
खजूर खाने के फायदे
ऐसा नहीं है... खजूर को किसी भी मौसम में खाया जा सकता है। खजूर का आप सीधा सेवन कर लें या उसे किसी अन्य खाद्य पदार्थ में मिलाकर भी खा सकते हैं। कुछ लोग दही के रायते में खजूर डालकर खाते हैं, इससे इसका स्वाद और भी बढ़ जाता है। आगे जानिए खजूर के फायदे....
पहला फायदा
खजूर में मौजूद प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स से बॉडी को शक्ति मिलती है। जो लोग अधिक थकान महसूस करते हैं, थोड़ा काम करते ही थक जाते हैं, उन्हें रोजाना 3 खजूर खाने चाहिए।
पहला फायदा
खजूर में अच्छी मात्रा में आयरन भी होता है। जो लोग अधिक थकान या कमजोरी महसूस करते हैं, उनमें आयरन की कमी होती है। खजूर में मौजूद आयरन उसे कुछ ही दिनों में पूरा कर देता है।
दूसरा फायदा
खजूर का सेवन पाचन शक्ति को बढ़ाता है। पेट संबंधी कैसी भी दिक्कत हो, उसमें खजूर का सेवन रामबाण इलाज सिद्ध होता है। यह पाचन शक्ति को सही कर भूख बढ़ाता है।
तीसरा फायदा
खजूर हृदय रोगियों के लिए बहुत अच्छा है। यदि किसी को दिल का रोग है तो वह रोजाना 3 से 4 खजूर खाए। खजूर बॉडी के कॉलेस्ट्रोल को कंट्रोल करता है, जिससे हृदय आघात जैसा खतरा कम हो जाता है।
चौथा फायदा
कम सोडियम और ढेर सारे मिनरल्स होने की वजह से, खजूर हमारी हड्डियों के लिए अच्छा माना जाता है। खजूर में मौजूद सेलीनियम, मैगनीज, कॉपर जैसे मिनरल हमारी हड्डियों को मजबूती देते हैं।
चौथा फायदा
जो लोग रोजाना वर्कआउट करते हैं, ढेर सारी कसरत करने के शौकीन हैं उन्हें खजूर अवश्य ही खाना चाहिए। ये उन्हें बिना किसी परेशानी के कसरत करने में सहयोग देगा।
पांचवां फायदा
जो लोग रोजाना खजूर खाते हैं, उन्हें कभी कोई संक्रमण अपना शिकार नहीं बना सकता। आजकल जिस तरह का प्रदूषण शहरों में फैला हुआ है, उससे सबसे ज्यादा धूल संबंधी संक्रमण होता है। यह संक्रमण शरीर में अधिक फैल जाने भिन्न-भिन्न प्रकार की बीमारियों को जन्म देता है।
पांचवां फायदा
इस सबसे बचने के लिए रोजाना 3 खजूर खाने चाहिए। खजूर में ‘सल्फर’ पाया जाता है, जो शरीर में पैदा हो रहे संक्रमण को काटता है और हमें बीमारियों से बचाता है।
छठा फायदा
यह फायदा उनके लिए है जो पतले हैं और अपना वजन बढ़ाना चाहते हैं। शरीर से बेहद कमजोर या यूं कहें कि अंडरवेट लोगों को खजूर खाने चाहिए। ऐसे लोग चाहें तो दिन में 3 से अधिक खजूर भी खा सकते हैं।
छठा फायदा
खजूर का मीठापन और इसमें मौजूद प्रोटीन की भारी मात्रा, वजन बढ़ाने में कारगर सिद्ध होती है। एक किलोग्राम खजूर में कुल 3000 कैलोरी होती है, जो वजन बढ़ाने के सही अच्छी मात्रा है।
भीगे हुए खजूर
यह फायदा आपको तभी हासिल होगा, जब आप खजूर को सूखा नहीं बल्कि भिगोकर खाएंगे। जी हां... रातभर साधारण पानी में खजूर भिगोकर रखने से और सुबह खाली पेट इसका सेवन करने से बहुत से फायदे मिलते हैं।
भीगे हुए खजूर
इसका पहला फायदा उन्हें मिलता है जो कब्ज से परेशान हैं। खजूर का यह प्रयोग आसानी से पेट साफ करता है। केवल 2-3 दिन इस प्रयोग को करने से कब्ज की परेशानी दूर हो जाती है।
दूध में खजूर भिगोकर खाने के फायदे
यदि खजूर पानी में नहीं, रातभर दूध में भिगोकर सुबह खाया जाए तो यह पौरुष शक्ति बढ़ाता है। अगर दूध बकरी का हो तो और भी अच्छी बात है, नहीं तो साधारण दूध भी काम में लाया जा सकता है।
कैंसर से बचाए
खजूर खाने से कैंसर रोग नहीं होता। खजूर का यह एक ऐसा गुण है जो अधिकतर लोग नहीं जानते। महिलाओं में आजकल उदर कैंसर, यानी कि साधारण भाषा में जिसे पेट का कैंसर भी कहा जाता है, वह काफी बढ़ गया है।
कैंसर से बचाए
इस तरह के कैंसर से लड़ने में सक्षम है खजूर। और सबसे अच्छी बात यह है कि खजूर का सेवन कभी भी आप पर कोई बुरा असर नहीं छोड़ सकता है। यह पूर्ण रूप से फायदेमंद ही है। तो आप इसे अपनी रोजाना की डायट में कब से शामिल कर रहे हैं?
किस चीज की कमी के कारण कौन सा रोग होता है
१.रोगी के रोग की चिकित्सा करने वाले निकृष्ट , रोग के कारणों की चिकित्सा करने वाले औसत और रोग-मुक्त रखने वाले श्रेष्ठ चिकित्सक होते हैं ।
अष्ट्रांग ह्रदयम्
२. लकवा - सोडियम की कमी के कारण होता है ।
३. हाई वी पी में - स्नान व सोने से पूर्व एक गिलास जल का सेवन करें तथा स्नान करते समय थोड़ा सा नमक पानी मे डालकर स्नान करे ।
४. लो वी पी - सेंधा नमक डालकर पानी पीयें ।
५. कूबड़ निकलना- फास्फोरस की कमी ।
६. कफ - फास्फोरस की कमी से कफ बिगड़ता है , फास्फोरस की पूर्ति हेतु आर्सेनिक की उपस्थिति जरुरी है गुड व शहद खाएं
७. दमा, अस्थमा - सल्फर की कमी ।
८. सिजेरियन आपरेशन - आयरन , कैल्शियम की कमी ।
९. सभी क्षारीय वस्तुएं दिन डूबने के बाद खायें ।
१०. अम्लीय वस्तुएं व फल दिन डूबने से पहले खायें ।
११. जम्भाई - शरीर में आक्सीजन की कमी ।
१२. जुकाम - जो प्रातः काल जूस पीते हैं वो उस में काला नमक व अदरक डालकर पियें ।
१३. ताम्बे का पानी - प्रातः खड़े होकर नंगे पाँव पानी ना पियें ।
१४. किडनी - भूलकर भी खड़े होकर गिलास का पानी ना पिये ।
१५. गिलास एक रेखीय होता है तथा इसका सर्फेसटेन्स अधिक होता है । गिलास अंग्रेजो ( पुर्तगाल) की सभ्यता से आयी है अतः लोटे का पानी पियें, लोटे का कम सर्फेसटेन्स होता है ।
१६. अस्थमा , मधुमेह , कैसर से गहरे रंग की वनस्पतियाँ बचाती हैं ।
१७. वास्तु के अनुसार जिस घर में जितना खुला स्थान होगा उस घर के लोगों का दिमाग व हृदय भी उतना ही खुला होगा ।
१८. परम्परायें वहीँ विकसित होगीं जहाँ जलवायु के अनुसार व्यवस्थायें विकसित होगीं ।
१९. पथरी - अर्जुन की छाल से पथरी की समस्यायें ना के बराबर है ।
२०. RO का पानी कभी ना पियें यह गुणवत्ता को स्थिर नहीं रखता । कुएँ का पानी पियें । बारिस का पानी सबसे अच्छा , पानी की सफाई के लिए सहिजन की फली सबसे बेहतर है ।
२१. सोकर उठते समय हमेशा दायीं करवट से उठें या जिधर का स्वर चल रहा हो उधर करवट लेकर उठें ।
२२. पेट के बल सोने से हर्निया, प्रोस्टेट, एपेंडिक्स की समस्या आती है ।
२३. भोजन के लिए पूर्व दिशा , पढाई के लिए उत्तर दिशा बेहतर है ।
२४. HDL बढ़ने से मोटापा कम होगा LDL व VLDL कम होगा ।
२५. गैस की समस्या होने पर भोजन में अजवाइन मिलाना शुरू कर दें ।
२६. चीनी के अन्दर सल्फर होता जो कि पटाखों में प्रयोग होता है , यह शरीर में जाने के बाद बाहर नहीं निकलता है। चीनी खाने से पित्त बढ़ता है ।
२७. शुक्रोज हजम नहीं होता है फ्रेक्टोज हजम होता है और भगवान् की हर मीठी चीज में फ्रेक्टोज है ।
२८. वात के असर में नींद कम आती है ।
२९. कफ के प्रभाव में व्यक्ति प्रेम अधिक करता है ।
३०. कफ के असर में पढाई कम होती है ।
३१. पित्त के असर में पढाई अधिक होती है ।
३२. योग-प्राणायाम- कफ प्रवृति वालों को नहीं करना चाहिए , वात प्रवृति वालों को थोडा, पित्त प्रवृति वालों को ज्यादा करना चाहिए ।
३३. आँखों के रोग - कैट्रेक्टस, मोतियाविन्द, ग्लूकोमा , आँखों का लाल होना आदि ज्यादातर रोग कफ के कारण होता है ।
३४. शाम को वात-नाशक चीजें खानी चाहिए ।
३५. पित्त प्रवृति वालों को प्रातः 4 बजे जाग जाना चाहिए ।
३६. सोते समय रक्त दवाव सामान्य या सामान्य से कम होता है ।
३७. व्यायाम - वात रोगियों के लिए मालिश के बाद व्यायाम , पित्त वालों को व्यायाम के बाद मालिश करनी चाहिए । कफ के लोगों को स्नान के बाद मालिश करनी चाहिए ।
३८. भारत की जलवायु वात प्रकृति की है दौड़ की बजाय सूर्य नमस्कार करना चाहिए ।
३९. जो माताएं घरेलू कार्य करती हैं उनके लिए व्यायाम जरुरी नहीं ।
४०. निद्रा से पित्त शांत होता है , मालिश से वायु शांति होती है , उल्टी से कफ शांत होता है तथा उपवास ( लंघन ) से बुखार शांत होता है ।
४१. भारी वस्तुयें शरीर का रक्तदाब बढाती है , क्योंकि उनका गुरुत्व अधिक होता है ।
४२. दुनियां के महान वैज्ञानिक का स्कूली शिक्षा का सफ़र अच्छा नहीं रहा, चाहे वह 8 वीं फेल न्यूटन हों या 9 वीं फेल आइस्टीन हों ,
43. माँस खाने वालों के शरीर से अम्ल-स्राव करने वाली ग्रंथियाँ प्रभावित होती हैं ।
४४. तेल हमेशा गाढ़ा खाना चाहिएं सिर्फ लकडी वाली घाणी का , दूध हमेशा पतला पीना चाहिए ।
४५. छिलके वाली दाल-सब्जियों से कोलेस्ट्रोल हमेशा घटता है ।
४६. कोलेस्ट्रोल की बढ़ी हुई स्थिति में इन्सुलिन खून में नहीं जा पाता है । ब्लड शुगर का सम्बन्ध ग्लूकोस के साथ नहीं अपितु कोलेस्ट्रोल के साथ है ।
४७. मिर्गी दौरे में अमोनिया या चूने की गंध सूँघानी चाहिए ।
४८. सिरदर्द में एक चुटकी नौसादर व अदरक का रस रोगी को सुंघायें ।
४९. भोजन के पहले मीठा खाने से बाद में खट्टा खाने से शुगर नहीं होता है ।
५०. भोजन के आधे घंटे पहले सलाद खाएं उसके बाद भोजन करें ।
५१. अवसाद में आयरन , कैल्शियम , फास्फोरस की कमी हो जाती है । फास्फोरस गुड और अमरुद में अधिक है ।
५२. पीले केले में आयरन कम और कैल्शियम अधिक होता है । हरे केले में कैल्शियम थोडा कम लेकिन फास्फोरस ज्यादा होता है तथा लाल केले में कैल्शियम कम आयरन ज्यादा होता है । हर हरी चीज में भरपूर फास्फोरस होती है, वही हरी चीज पकने के बाद पीली हो जाती है जिसमे कैल्शियम अधिक होता है ।
५३. छोटे केले में बड़े केले से ज्यादा कैल्शियम होता है
५४. रसौली की गलाने वाली सारी दवाएँ चूने से बनती हैं
५५. हेपेटाइट्स A से E तक के लिए चूना बेहतर है ।
५६. एंटी टिटनेस के लिए हाईपेरियम 200 की दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दे ।
५७. ऐसी चोट जिसमे खून जम गया हो उसके लिए नैट्रमसल्फ दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दें । बच्चो को एक बूंद पानी में डालकर दें ।
५८. मोटे लोगों में कैल्शियम की कमी होती है अतः त्रिफला दें । त्रिकूट ( सोंठ+कालीमिर्च+ मघा पीपली ) भी दे सकते हैं ।
५९. अस्थमा में नारियल दें । नारियल फल होते हुए भी क्षारीय है ।दालचीनी + गुड + नारियल दें ।
६०. चूना बालों को मजबूत करता है तथा आँखों की रोशनी बढाता है ।
६१. दूध का सर्फेसटेंसेज कम होने से त्वचा का कचरा बाहर निकाल देता है ।
६२. गाय की घी सबसे अधिक पित्तवर्धक व कफ व वायुनाशक है ।
६३. जिस भोजन में सूर्य का प्रकाश व हवा का स्पर्श ना हो उसे नहीं खाना चाहिए । जैसे - प्रेशर कूकर
६४. गौ-मूत्र अर्क आँखों में ना डालें ।
६५. गाय के दूध में घी मिलाकर देने से कफ की संभावना कम होती है लेकिन चीनी मिलाकर देने से कफ बढ़ता है ।
६६. मासिक के दौरान वायु बढ़ जाता है , ३-४ दिन स्त्रियों को उल्टा सोना चाहिए इससे गर्भाशय फैलने का खतरा नहीं रहता है । दर्द की स्थति में गर्म पानी में देशी घी दो चम्मच डालकर पियें ।
६७. रात में आलू खाने से वजन बढ़ता है ।
६८. भोजन के बाद बज्रासन में बैठने से वात नियंत्रित होता है ।
६९. भोजन के बाद कंघी करें कंघी करते समय आपके बालों में कंघी के दांत चुभने चाहिए । बाल जल्द सफ़ेद नहीं होगा ।
७०. अजवाईन अपान वायु को बढ़ा देता है जिससे पेट की समस्यायें कम होती है ।
७१. अगर पेट में मल बंध गया है तो अदरक का रस या सोंठ का प्रयोग करें ।
७२. कब्ज होने की अवस्था में सुबह पानी पीकर कुछ देर एडियों के बल चलना चाहिए ।
७३. रास्ता चलने, श्रम कार्य के बाद थकने पर या धातु गर्म होने पर दायीं करवट लेटना चाहिए ।
७४. जो दिन मे दायीं करवट लेता है तथा रात्रि में बायीं करवट लेता है उसे थकान व शारीरिक पीड़ा कम होती है ।
७५. बिना कैल्शियम की उपस्थिति के कोई भी विटामिन व पोषक तत्व पूर्ण कार्य नहीं करते है ।
७६. स्वस्थ्य व्यक्ति सिर्फ 5 मिनट शौच में लगाता है ।
७७. भोजन करते समय डकार आपके भोजन को पूर्ण और हाजमे को संतुष्टि का संकेत है ।
७८. सुबह के नाश्ते में फल , दोपहर को दही व रात्रि को दूध का सेवन करना चाहिए ।
७९. रात्रि को कभी भी अधिक प्रोटीन वाली वस्तुयें नहीं खानी चाहिए । जैसे - दाल , पनीर , राजमा , लोबिया आदि ।
८०. शौच और भोजन के समय मुंह बंद रखें , भोजन के समय टी वी ना देखें ।
८१. मासिक चक्र के दौरान स्त्री को ठंडे पानी से स्नान , व आग से दूर रहना चाहिए ।
८२. जो बीमारी जितनी देर से आती है , वह उतनी देर से जाती भी है ।
८३. जो बीमारी अंदर से आती है , उसका समाधान भी अंदर से ही होना चाहिए ।
८४. एलोपैथी ने एक ही चीज दी है , दर्द से राहत । आज एलोपैथी की दवाओं के कारण ही लोगों की किडनी , लीवर , आतें , हृदय ख़राब हो रहे हैं । एलोपैथी एक बिमारी खत्म करती है तो दस बिमारी देकर भी जाती है ।
८५. खाने की बस्तु में कभी भी ऊपर से नमक नहीं डालना चाहिए , ब्लड-प्रेशर बढ़ता है ।
८६ . रंगों द्वारा चिकित्सा करने के लिए इंद्रधनुष को समझ लें , पहले जामुनी , फिर नीला ..... अंत में लाल रंग ।
८७ . छोटे बच्चों को सबसे अधिक सोना चाहिए , क्योंकि उनमें वह कफ प्रवृति होती है , स्त्री को भी पुरुष से अधिक विश्राम करना चाहिए ।
८८. जो सूर्य निकलने के बाद उठते हैं , उन्हें पेट की भयंकर बीमारियां होती है , क्योंकि बड़ी आँत मल के चूसने लगता है ।
८९. बिना शरीर की गंदगी निकाले स्वास्थ्य शरीर की कल्पना निरर्थक है , मल-मूत्र से 5% , कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ने से 22 %, तथा पसीना निकलने लगभग 70 % शरीर से विजातीय तत्व निकलते हैं ।
९०. चिंता , क्रोध , ईष्या करने से गलत हार्मोन्स का निर्माण होता है जिससे कब्ज , बबासीर , अजीर्ण , अपच , रक्तचाप , थायरायड की समस्या उतपन्न होती है ।
९१. गर्मियों में बेल , गुलकंद , तरबूजा , खरबूजा व सर्दियों में सफ़ेद मूसली , सोंठ का प्रयोग करें ।
९२. प्रसव के बाद माँ का पीला दूध बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता को 10 गुना बढ़ा देता है । बच्चो को टीके लगाने की आवश्यकता नहीं होती है ।
९३. रात को सोते समय सर्दियों में देशी मधु लगाकर सोयें त्वचा में निखार आएगा ।
९४. दुनिया में कोई चीज व्यर्थ नहीं , हमें उपयोग करना आना चाहिए ।
९५. जो अपने दुखों को दूर करके दूसरों के भी दुःखों को दूर करता है , वही मोक्ष का अधिकारी है ।
९६. सोने से आधे घंटे पूर्व जल का सेवन करने से वायु नियंत्रित होती है , लकवा , हार्ट-अटैक का खतरा कम होता है ।
९७. स्नान से पूर्व और भोजन के बाद पेशाब जाने से रक्तचाप नियंत्रित होता है ।
९८ . तेज धूप में चलने के बाद , शारीरिक श्रम करने के बाद , शौच से आने के तुरंत बाद जल का सेवन निषिद्ध है ।
९९. त्रिफला अमृत है जिससे वात, पित्त , कफ तीनो शांत होते हैं । इसके अतिरिक्त भोजन के बाद पान व चूना । देशी गाय का घी , गौ-मूत्र भी त्रिदोष नाशक है ।
१००. इस विश्व की सबसे मँहगी दवा लार है , जो प्रकृति ने तुम्हें अनमोल दी है , इसे ना थूके ।
आम धारणा है कि बीमार होने पर ज्यूस पीना चाहिए। लेकिन *किस बीमारी में कौनसा ज्यूस लाभदायक होगा क्या आप जानते है,शायद नहीं|
विभन्न बीमारियों में लाभदायक ज्यूस
1. *भूख लगाने के हेतुः-*
प्रातःकाल खाली पेट नींबू का पानी पियें। खाने से पहले अदरक को कद्दूकस करके सैंधा नमक के साथ लें।
2. *रक्तशुद्धि हेतु :-*
नींबू, गाजर, गोभी, चुकन्दर, पालक, सेव, तुलसी, नीम और बेल के पत्तों का रस प्रयोग करें।
3. *दमाः-*
लहसुन, अदरक, तुलसी, चुकन्दर, गोभी, गाजर, मीठी द्राक्ष का रस, भाजी का सूप अथवा मूँग का सूप और बकरी का शुद्ध दूध लाभदायक है। घी, तेल, मक्खन वर्जित है।
4 *उच्च रक्तचापः-*
गाजर, अंगूर, मोसम्मी और ज्वारों का रस। मानसिक तथा शारीरिक आराम आवश्यक है।
5. *निम्न रक्तचाप*
मीठे फलों का रस लें, किन्तु खट्टे फलों का उपयोग ना करें। अंगूर और मोसम्मी का रस अथवा दूध भी लाभदायक है।
6. *पीलिया*
अंगूर, सेव, रसभरी, मोसम्मी, अंगूर की अनुपलब्धि पर लाल मुनक्के तथा किसमिस का पानी। गन्ने को चूसकर उसका रस पियें। केले में 1.5 ग्राम चूना लगाकर कुछ समय रखकर फिर खायें।
7. *मुहाँसों के दाग*
गाजर, तरबूज, प्याज, तुलसी, घृतकुमारी और पालक का रस।
8. *संधिवात*
लहसुन, अदरक, गाजर, पालक, ककड़ी, गोभी, हरा धनिया, नारियल का पानी तथा सेव और गेहूँ के ज्वारे।
9. *एसीडिटी*
गाजर, पालक, ककड़ी, तुलसी का रस, फलों का रस अधिक लें। अँगूर मौसम्मी तथा दूध भी लाभदायक है।
10. *कैंसर*
गेहूँ के ज्वारे, गाजर और अंगूर का रस।
11. *सुन्दर बनने के लिए*
सुबह-दोपहर नारियल का पानी या बबूल का रस लें। नारियल के पानी से चेहरा साफ करें।
12. *फोड़े-फुन्सियाँ*
गाजर, पालक, ककड़ी, गोभी और नारियल का रस।
13. *कोलाइटिस*
गाजर, पालक और अन्नानास का रस। 70 प्रतिशत गाजर के रस के साथ अन्य रस समप्राण। चुकन्दर, नारियल, ककड़ी, गोभी के रस का मिश्रण भी उपयोगी है।
14. *अल्सर*
अंगूर, गाजर, गोभी का रस, केवल दुग्धाहार पर रहना आवश्यक है, खूब गर्म दूध में 2 चम्मच देशी गाय का घी डालकर मिलाकर करके पियें।
15. *सर्दी-कफ*
मूली, अदरक, लहसुन, तुलसी, गाजर का रस, मूँग अथवा भाजी का सूप।
16. *ब्रोन्काइटिस*
पपीता, गाजर, अदरक, तुलसी, अनन्नास का रस, मूँग का सूप। स्टार्चवाली खुराक वर्जित।
17. *दाँत निकलते बच्चे के लिए*
अन्नानास का रस थोड़ा नींबू डालकर रोज चार औंस (100-125 ग्राम)।
18. *रक्तवृद्धि के लिए*
मौसम्मी, अंगूर, पालक, टमाटर, चुकन्दर, सेव, रसभरी का रस रात को। रात को भिगोया हुआ खजूर का पानी सुबह में। इलायची के साथ केले भी उपयोगी हैं।
19. *स्त्रियों को मासिक धर्म कष्ट*
अंगूर, अन्नानास तथा रसभरी का रस।
20. *आँखों के तेज के लिए*
गाजर का रस तथा हरे धनिया का रस श्रेष्ठ है।
21. *अनिद्रा*
अंगूर और सेव का रस। पीपरामूल शहद के साथ।
22. *वजन बढ़ाने के लिए*
पालक, गाजर, चुकन्दर, नारियल और गोभी के रस का मिश्रण, दूध, दही, सूखा मेवा, अंगूर और सेवों का रस।
23. *डायबिटीज*
गोभी, गाजर, नारियल, करेला और पालक का रस।
24. *पथरी*
पत्तों वाली सब्जी, पालक, टमाटर ना लें। ककड़ी का रस श्रेष्ठ है। सेव अथवा गाजर या कद्दू का रस भी सहायक है। जौ एवं सहजने का सूप भी लाभदायक है।
25. *सिरदर्द*
ककड़ी, चुकन्दर, गाजर, गोभी और नारियल के रस का मिश्रण।
26. *किडनी का दर्द*
गाजर, पालक, ककड़ी, अदरक और नारियल का रस।
27. *फ्लू*
अदरक, तुलसी, गाजर का रस।
28 *वजन घटाने के लिए*
अन्नानास, गोभी, तरबूज,लौकी और नींबू का रस।
29. *पायरिया*
गेहूँ के ज्वारे, गाजर, नारियल, ककड़ी, पालक और सोया की भाजी का रस। कच्चा अधिक खायें।
30. *बवासीर*
मूली का रस, अदरक का रस घी डालकर, नागर मोथा, नारियल पानी।
